Vishnu prabhakar biography hindi

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हेलो दोस्तों, आज के इस आर्टिकल में हमने “विष्णु प्रभाकर का जीवन परिचय” (Vishnu Prabhakar history in Hindi) के बारे में संपूर्ण जानकारी दी है। इसमें हमने विष्णु प्रभाकर की जीवनी, जीवन परिचय, साहित्यिक परिचय, रचना एवं कृतियां, एकांकी, भाषा शैली, पुरस्कार व साहित्य में स्थान और विष्णु प्रभाकर एकांकी delegate को भी विस्तार पूर्वक सरल भाषा में समझाया गया है, ताकि आप परीक्षाओं में ज्यादा अंक प्राप्त कर सकें। इसके अलावा इसमें हमने विष्णु प्रभाकर जी के जीवन से जुड़े प्रश्नों के उत्तर भी दिए हैं, तो आप इस आर्टिकल को अंत तक जरूर पढ़ें।

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विष्णु प्रभाकर का संक्षिप्त परिचय

विद्यार्थी ध्यान दें कि नीचे दी गई सारणी में हमने प्रभाकर जी की जीवनी के बारे में संक्षेप में समझाया है।
विष्णु प्रभाकर की जीवनी –

पूरा नामविष्णु प्रभाकर
असली नामविष्णु दयाल
जन्म तिथि21 जून, 1912 ई.

में

जन्म स्थानउत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले में मीरापुर कस्बे में
मृत्यु स्थान11 अप्रैल, 2009 ई. में
मृत्यु स्थाननई दिल्ली, भारत
पिता का नामश्री दुर्गा प्रसाद
माता का नामश्रीमती महादेवी
पत्नी का नामश्रीमती सुशीला देवी
संतानपुत्र-अतुल प्रभाकर, अमित प्रभाकर पुत्रियां-अर्चना प्रभाकर, अनिता प्रभाकर
पैशासाहित्यकार, नाटककार, एकांकीकार, उपन्यासकार, कहानीकार
शिक्षाबी०ए० तथा हिंदी ‘प्रभाकर’
विद्यालयपंजाब विश्वविद्यालय
साहित्य कालआधुनिक काल
लेखन विधाएकांकी, नाटक, उपन्यास, कविता, कहानी, निबंध, संस्मरण, आत्मकथा
प्रथमएकांकी हत्या के बाद
भाषाहिंदी, अंग्रेजी
प्रमुख रचनाएंआवारा मसीहा, हत्या के बाद, पाप का घड़ा, सीमा रेखा, संघर्ष के बाद, अधूरी कहानी, ढलती रात, डॉक्टर, प्रकाश और परछाइयां, नए एकांकी, अन्य एकांकी, दस बजे रात, डरे हुए, पंख हीन आदि।
पुरस्कारपद्मभूषण, साहित्य अकादमी पुरस्कार, सोवियत लैण्ड नेहरू पुरस्कार, पाब्लों नेरुदा सम्मान, मूर्ति देवी पुरस्कार, शलाका सम्मान आदि।
साहित्य में स्थानएकांकीकारों में सर्वप्रमुख स्थान ।

प्रस्तावना – विष्णु प्रभाकर (21 जून 1912 – 11 अप्रैल 2009) एक प्रमुख भारतीय लेखक, एकांकीकार, नाटककार, उपन्यासकार, पत्रकार और निबंधकार थे। उन्हें व्यापक रूप से 20वीं सदी के सबसे प्रभावशाली हिंदी भाषा लेखकों में से एक माना जाता है। भारत के उत्तर प्रदेश में जन्मे, उन्होंने हिंदी साहित्य में महत्वपूर्ण योगदान दिया और भारतीय साहित्य जगत् में एक अग्रणी व्यक्ति बन गए।

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विष्णु प्रभाकर का जीवन परिचय

विष्णु दयाल जिन्हें, विष्णु प्रभाकर के नाम से भी जाना जाता है, एक प्रमुख भारतीय साहित्यकार, एकांकीकार, उपन्यासकार एवं नाटककार थे। इनका जन्म 21 जून, सन् 1912 ईस्वी को उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरपुर जिले में स्थित मीरापुर नामक ग्राम में हुआ था। इनके पिता का नाम श्री दुर्गा प्रसाद तथा माता का नाम श्रीमती महादेवी था। प्रभाकर जी की प्रारम्भिक शिक्षा गाँव की पाठशाला में ही हुई। किंतु कुछ पारिवारिक कारणों से उनको शिक्षा के लिए, हिसार (हरियाणा) जाना पड़ा। वहीं पर इन्होंने हाईस्कूल की शिक्षा प्राप्त की। पंजाब विश्वविद्यालय से बी० ए० और फिर हिन्दी ‘प्रभाकर’ की परीक्षा उत्तीर्ण की। इसीलिए इनके नाम के आगे ‘प्रभाकर’ शब्द लगाया जाने लगा।

शिक्षा समाप्त करने के पश्चात् ये हिसार में ही एक सरकारी सेवा में लग गये। सरकारी नौकरी के समय भी ये साहित्य के अध्ययन एवं लेखन में संलग्न रहे। सन् 1931 ई.

में इनकी पहली कहानी प्रकाशित हुई। सन् 1933 ई. में प्रभाकर जी हिसार नगर की शौकिया नाटक कम्पनियों के सम्पर्क में आये और उनमें से एक कम्पनी में अभिनेता से लेकर मन्त्री तक का कार्य भी किया। सन् 1938 ई. में ‘हंस’ नामक एक एकांकी विशेषांक प्रकाशित हुआ। उसे पढ़ने के उपरान्त और कुछ मित्रों की प्रेरणा से इन्होंने सन् 1939 ई. में प्रथम एकांकी लिखीं, जिसका शीर्षक था- ‘हत्या के बाद’। इसके बाद विष्णु प्रभाकर जी आकाशवाणी दिल्ली केन्द्र पर ड्रामा प्रोड्यूसर तथा ‘बाल भारती’ के सम्पादक भी रह चुके हैं।

विष्णु प्रभाकर जी को ‘अर्धनारीश्वर’ नामक उपन्यास के लिए “साहित्य अकादमी पुरस्कार” से सम्मानित किया गया तथा भारत के राष्ट्रपति द्वारा भी इन्हें “पद्म-भूषण” की उपाधि से सम्मानित किया गया था। प्रभाकर जी सुर्खियों में तब आए थे, जब सन् 2005 ई.

में राष्ट्रपति भवन में कथित दुर्व्यवहार के विरोध स्वरूप इन्होंने पद्मभूषण की उपाधि लौटाने की घोषणा की थी। प्रभाकर जी के जीवन पर आर्यसमाज और महात्मा गाँधी के जीवन-दर्शन का भी गहरा प्रभाव रहा है। 11 अप्रैल, सन् 2009 ईस्वी को इस महान् साहित्यकार का 96 वर्ष की उम्र में नई दिल्ली में देहांत हो गया था।

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विष्णु प्रभाकर की प्रमुख रचनाएं

विष्णु प्रभाकर जी की प्रमुख रचनाएं एवं कृतियाँ कुछ इस प्रकार से हैं— प्रभाकर जी ने अनेक विधाओं पर अपनी कलम चलायी है। इनके द्वारा लिखे गये एकांकी, नाटक, कहानी, उपन्यास, जीवनियाँ, रेडियो-रूपक और रिपोर्ताज हिन्दी साहित्य की महत्त्वपूर्ण निधि हैं। एकांकी के क्षेत्र में इनका विशिष्ट योगदान रहा है। अतः एक ख्यातिप्राप्त एकांकीकार के रूप में ‘प्रभाकर’ जी ने सामाजिक, राजनीतिक एवं ऐतिहासिक विषय-वस्तु पर आधारित कई प्रभावपूर्ण एकांकियों की रचना की। इन्होंने सामाजिक एकांकियों के आधार पर वर्तमान समाज की यथार्थ स्थिति एवं अनेक ज्वलन्त समस्याओं को भी उभारा है।

शरत् चन्द्र की जीवनी पर आधारित ‘आवारा मसीहा’ इनके द्वारा लिखी गयी बहुचर्चित एवं अत्यन्त प्रभावपूर्ण रचना है। प्रभाकर जी की प्रमुख नाट्य रचनाएँ हैं— ‘नव प्रभात’ (नाटक), ‘डॉक्टर’, ‘प्रकाश और परछाइयाँ’, ‘बारह एकांकी’, ‘अशोक’, ‘इन्सान और अन्य एकांकी’, ‘दस बजे रात’, ‘ये रेखाएँ, ‘ये दायरे’, ‘ऊँचा पर्वत, गहरा सागर’, ‘मेरे श्रेष्ठ रंग एकांकी’, ‘तीसरा आदमी’, ‘नये एकांकी’ तथा ‘डरे हुए’ आदि (एकांकी-संग्रह) है।

अन्य प्रसिद्ध रचनाएँ हैं— ‘ढलती रात’, ‘स्वप्नमयी’, ‘संघर्ष के बाद’, ‘जाने-अनजाने’ आदि ।

विष्णु प्रभाकर की एकांकी

  • सीमा रेखा
  • डॉक्टर
  • प्रकाश और परछाइयां
  • बारह एकांकी
  • अशोक
  • इंसान
  • अन्य एकांकी
  • दस बजे रात
  • ये रेखाएं
  • ये दायरे
  • ऊंचा पर्वत गहरा सागर
  • मेरे श्रेष्ठ रंग एकांकी
  • तीसरा आदमी
  • नए एकांकी
  • डरे हुए आदि।

विष्णु प्रभाकर के नाटक

  1. हत्या के बाद
  2. सत्ता के आर-पार
  3. नव प्रभात
  4. अब और नहीं
  5. टूटते परिवेश
  6. गांधार की भिक्षुणी
  7. जाने-अनजाने आदि ।

विष्णु प्रभाकर के उपन्यास

  • अर्धनारीश्वर
  • स्वप्नमयी
  • होरी
  • निशिकांत
  • कोई तो
  • तट का बंधन
  • स्वराज्य की कहानी
  • ढलती रात आदि।

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विष्णु प्रभाकर की कहानियाॅं

  1. मेरा वतन
  2. एक आसमान के नीचे
  3. संघर्ष के बाद
  4. आदि और अंत
  5. अधूरी कहानी
  6. धरती अब भी घूम रही है
  7. पाप का घड़ा
  8. खिलौने
  9. कौन जीता कौन हारा
  10. तपोवन की कहानियां
  11. मोती किसके आदि ।

विष्णु प्रभाकर की जीवनियां

  • आवारा मसीहा
  • अमर शहीद भगत सिंह
  • दिशान्त
  • समांतर रेखाएं
  • सरदार बल्लभ भाई पटेल
  • अमर शहीद भगत सिंह
  • यादों की तीर्थ यात्रा
  • मेरे हमसफर आदि ।

विष्णु प्रभाकर के यात्रा वृतांत

  1. जमुना गंगा के नहर में
  2. ज्योतिपुंज हिमालय
  3. हंसते निर्झर दहकती भट्ठी आदि ।

विष्णु प्रभाकर की आत्मकथा

  • और पंक्षी उड़ गया
  • मुक्त गगन में
  • तथा ‘क्षमादान’ और ‘पंखहीन’ नामक आत्मकथा राजकमल प्रकाशन से तीन भागों में प्रकाशित हो चुकी है।

विष्णु प्रभाकर के बाल कथा साहित्य

  1. क्षमादान
  2. घमंड का फल
  3. सुनो कहानी
  4. गजनन्दन लाल के कारनामे
  5. दो मित्र
  6. हीरे की पहचान आदि।

निबंध संग्रह – 1.

क्या खोया क्या पाया, 2. जंग समाज और संस्कृति आदि।
संस्मरण – 1. हमसफर मिलते रहे आदि ।
कविता संग्रह – 1. चलता चला जाऊंगा आदि।

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विष्णु प्रभाकर का साहित्यिक परिचय

साहित्यिक अवदान – विष्णु प्रभाकर की रचनाओं में प्रारम्भ से ही स्वदेश-प्रेम, राष्ट्रीय चेतना और समाज-सुधार का स्वर मुखर रहा है। इसके कारण उन्हें ब्रिटिश सरकार का कोपभाजन बनना पड़ा। अतः इन्होंने सरकारी नौकरी से त्यागपत्र दे दिया और स्वतन्त्र लेखन को अपनी जीविका का साधन बना लिया।

विष्णु प्रभाकर जी ने एकांकी और रेडियो-रूपक के अतिरिक्त कहानी, उपन्यास, रिपोर्ताज आदि विधाओं में भी पर्याप्त मात्रा में लिखा है। इनके एकांकियों में पात्रों का चरित्र-चित्रण मनोवैज्ञानिक आधार पर किया गया है। एकांकियों की कथावस्तु घटनापरक, गतिशील व प्राणवान् है। वाक्य – विन्यास अत्यन्त सरल एवं बोधगम्य है। संवाद छोटे, प्रभावपूर्ण एवं प्रसंगानुकूल हैं। आपने अधिकांश एकांकियों की रचना रेडियो-रूपक के रूप में की है।

विष्णु प्रभाकर के पुरस्कार एवं उपलब्धियां

  1. विष्णु प्रभाकर जी को ‘आवारा मसीहा’ नामक सर्वाधिक चर्चित जीवनी के लिए “पाब्लो नेरूदा सम्मान” और “सोवियत लैण्ड नेहरू पुरस्कार” जैसे कई विदेशी पुरस्कारों से सम्मानित किया गया।
  2. विष्णु प्रभाकर जी को ‘अर्धनारीश्वर’ नामक उपन्यास के लिए “साहित्य अकादमी पुरस्कार” से सम्मानित किया गया।
  3. विष्णु प्रभाकर जी द्वारा रचित ‘सत्ता के आरपार’ नामक नाटक पर इन्हें भारतीय ज्ञानपीठ द्वारा “मूर्ति देवी पुरस्कार” से सम्मानित किया गया।
  4. विष्णु प्रभाकर जी को हिन्दी अकादमी, दिल्ली द्वारा “शलाका सम्मान” से भी सम्मानित किया गया।
  5. विष्णु प्रभाकर जी को भारत सरकार द्वारा “पद्म-भूषण” की उपाधि से भी अलंकृत किया गया था, परन्तु राष्ट्रपति भवन में दुर्व्यवहार के विरोध इन्होंने पद्मभूषण की उपाधि वापस करने घोषणा कर दी।

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FAQs.

विष्णु प्रभाकर जी के जीवन से जुड़े प्रश्न उत्तर

1. विष्णु प्रभाकर के बारे में आप क्या जानते?

विष्णु प्रभाकर (21 जून 1912 – 11 अप्रैल 2009) एक प्रमुख भारतीय लेखक, उपन्यासकार, नाटककार, कहानीकार, पत्रकार और निबंधकार थे। उन्हें व्यापक रूप से 20वीं सदी के सबसे प्रभावशाली हिंदी भाषा लेखकों में से एक माना जाता है। ये भारत के उत्तर प्रदेश में जन्मे, उन्होंने हिंदी साहित्य में महत्वपूर्ण योगदान दिया और भारतीय साहित्य जगत में एक अग्रणी व्यक्ति बन गए।

2.

विष्णु प्रभाकर का जन्म कब और कहां हुआ था?

विष्णु प्रभाकर का जन्म 21 जून सन् 1912 ईस्वी को मुजफ्फरनगर (उत्तर प्रदेश) के मीरापुर कस्बे में हुआ था।

3. विष्णु प्रभाकर का वास्तविक नाम क्या था?

विष्णु प्रभाकर का असली नाम विष्णु दयाल था।

4. विष्णु प्रभाकर के माता पिता का नाम क्या था?

विष्णु प्रभाकर के पिता का नाम श्री दुर्गा प्रसाद तथा माता का नाम श्रीमती महादेवी था।

5.

विष्णु प्रभाकर ने किसकी जीवनी लिखी है?

शरत् चन्द्र की जीवनी पर आधारित ‘आवारा मसीहा’ इनके द्वारा लिखी गयी बहुचर्चित एवं अत्यन्त प्रभावपूर्ण जीवनी है।

6. विष्णु प्रभाकर को किस कृति पर साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला?

विष्णु प्रभाकर जी को ‘अर्धनारीश्वर’ नामक उपन्यास के लिए “साहित्य अकादमी पुरस्कार” से सम्मानित किया गया था।

7.

विष्णु प्रभाकर का प्रथम नाटक कौन सा है?

‘हत्या के बाद’ नामक नाटक विष्णु प्रभाकर जी का पहला नाटक है।

8. विष्णु प्रभाकर को निम्न में से कौन सा पुरस्कार प्राप्त हुआ?

विष्णु प्रभाकर को पद्मभूषण के अलावा पाब्लो नेरूदा सम्मान, सोवियत लैण्ड नेहरू पुरस्कार, शलाका सम्मान, साहित्य अकादमी पुरस्कार और मूर्ति देवी पुरस्कार आदि कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया था।

9.

विष्णु प्रभाकर की एकांकी कौन कौन से हैं?

प्रभाकर जी के निम्नलिखित प्रमुख एकांकी संग्रह प्रकाशित हुए हैं- सीमा रेखा, डॉक्टर, प्रकाश और परछाइयां, बारह एकांकी, अशोक, इंसान, अन्य एकांकी, दस बजे रात, यह रेखाएं, यह दायरे, ऊंचा पर्वत गहरा सागर, मेरे श्रेष्ठ रंग एकांकी, तीसरा आदमी, नए एकांकी और डरे हुए आदि।

10. विष्णु प्रभाकर की मृत्यु कब और कहां हुई थी?

विष्णु प्रभाकर की मृत्यु 11 अप्रैल सन् 2009 ईस्वी में नई दिल्ली, भारत में हुई थी।

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